***रेलवे के लिए होगा 2020 उम्मीदों भरा साल***
SOME ACHIEVEMENTS IN 2019 BY JHANSI DIVISON OF NCR
- झाँसी-कानपुर दोहरीकरण कार्य में एक ़कदम और आगे बढ़ेगा
- नयी कोच फैक्ट्रि लेने लगेगी आकार
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more... सीपरी पुल पर इस साल भी हाथ लगी निराशा
हिमांशु वर्मा (झाँसी) : वर्ष 2018 बीतने को हुआ, तो नये साल से तमाम उम्मीदें लगीं। रेलवे के लिए वर्ष 2019 उस खेती की तरह निकला, जिसमें बोये गए बीजों की देखभाल करनी थी। उम्मीद है कि वर्ष 2020 में इन बीजों से उगती ़फसल देखी जा सकेगी। महानगर की जनता के लिहाज से सबसे महत्वपूर्ण था सीपरी ओवरब्रिज का मुद्दा। इस मसले पर कुछ झूठ-फरेब भी ठेकेदार कम्पनि की ओर से देखने को मिले, बाद में रेलवे सँभला, लेकिन तब तक साल हाथ से लगभग फिसल चुका था। कुछ साल पहले शुरू हुए अहम प्रोजेक्ट की प्रगति हर वर्ष सोमे के लिहाज से महत्वपूर्ण होती है। ऐसे में रेलवे यह मान रहा है कि भले ही फीते कहीं न कटे हों, पर काम हुआ - फीते वर्ष 2020 में कटते दिखेंगे। वर्ष 2019 में आम लोगों की उम्मीदों पर कितना खरा उतरा रेलवे और नये साल से क्या उम्मीदें लगी हैं, पेश है रिपोर्ट-
पारीछा-नन्दखास तक दोहरा ट्रैक लगभग तैयार
झाँसी-कानपुर रेलमार्ग पर चल रहे दोहरीकरण कार्य पर सभी की निगाहें लगी हैं। पहले चरण में झाँसी से पारीछा तक का कार्य पिछले साल ही पूरा हो गया था। इस बार चुनौती दूसरे चरण को पूरा करने की थी। रेलवे अधिकारियों के अनुसार दूसरे चरण में पारीछा से नन्दखास तक का काम लगभग पूरा हो गया है। नॉन इण्टरलॉकिंग का कार्य शेष है, जो शीघ्र पूर्ण हो जाएगा। नये साल में यह दोहरा ट्रैक चालू हो जाएगा।
बबीना तक तीसरी लाइन भी होगी चालू
मथुरा-बीना रेलमार्ग पर तीसरी लाइन बनाने के क्रम में झाँसी से बीना तक की तीसरी लाइन की पहली प्रगति नये साल पर आ देखने को मिल जाएगी। 152.57 किलोमीटर लम्बी लाइन को बनाने में 2,274 करोड़ रुपए की लागत आएगी। झाँसी से बबीना तक तीसरी लाइन की अन्तिम रूप देने का काम चल रहा है। मार्च 2020 तक यह काम पूर्ण होने की सम्भावना है। डेडलाइन एक-दो महीने इधर-उधर भी हो जाए, तो भी नये साल में तीसरी लाइन का इतना हिस्सा तैयार हो जाएगा, ऐसा रेलवे अधिकारियों का दावा है।
भीमसेन से खैरार के रास्ते मालगाड़ियाँ चलाने पर हो सकता है निर्णय
रेलवे ने वर्ष 2017 के अन्त में 166 किलोमीटर लम्बे हरपालपुर से खैरार व खैरार से झाँसी तक के ट्रैक का विद्युतीकरण पूर्ण कर लिया था। इस ट्रैक से सिर्फ मालगाड़ियाँ निकालने की योजना है, जिस पर नये साल में कोई निर्णय हो सकता है। अगर ऐसा हुआ, तो कानपुर से उरई के रास्ते सिर्फ यात्री ट्रेन ही चलेंगी, जिससे इन्हें बिना विलम्बित किए निकाला जा सकेगा।
ओवरब्रिज की टेंशन से नहीं मिली राहत
सीपरी ओवरब्रिज का निर्माण कार्य इस साल भी पूर्ण नहीं हो पाया। यह साल शुरू होने से पहले रेलवे की ओर से दावा किया गया था कि ओवरब्रिज का निर्माण कार्य जुलाई तक पूर्ण हो जाएगा, पर ऐसा हो नहीं पाया। ठेकेदार कम्पनि ने सेल (स्टील अथॉरिटि ऑफ इण्डिया लि.) को गर्डर के लिए भुगतान नहीं किया और रेलवे अधिकारियों को गुमराह करते रहे। पोल खुली, तो कम्पनि का टेण्डर रद्द कर दिया गया और नये टेण्डर हो गए। अब दावा है कि यह ओवरब्रिज 2020 में पूर्ण हो पाएगा।
मालगोदाम शिफ्ट करने का प्रस्ताव ठण्डे बस्ते में
शहर के बीच में रेलवे का मालगोदाम होने से आवागमन में समस्या होती है, इसी वजह से मालगोदाम को बिजौली में शिफ्ट करने का प्रस्ताव बनाया गया था। इसमें अपडेट यह है कि प्रस्ताव अभी तक तक प्रस्ताव ही है। नये साल में भी प्रस्ताव फाइल से बाहर आएगा, कहना मुश्किल है।
बुन्देली सभ्यता से कराया परिचय
साल के अन्त में रेलवे प्रशासन ने स्टेशन पर बुन्देलखण्डी में उद्घोषणा कराने की शुरूआत कर दी। उद्देश्य स्टेशन से गु़जरने वाले विभिन्न जगह के लोगों का परिचय बुन्देलखण्डी सभ्यता से कराना है।
नगरा हाट व्यापारियों की लौटी मुस्कान
बीते साल लखनऊ में आयोजित इन्वेस्टर्स समिट में झाँसी को नयी कोच री-फर्बिश फैक्ट्रि देने का एलान किया गया। फैक्ट्रि के निर्माण कार्य का खाका तैयार होने लगा, तो ऐतिहासिक नगरा हाट के व्यापारियों के चेहरे मुरझा गए। तय किया गया कि हाट के मैदान को हटाया जाएगा। हालाँकि साल के अन्त में रेलवे एंजिनियर्स ने पुष्ट कर दिया कि ऐसा कुछ होने नहीं जा रहा। हाट का मैदान पहले ही तरह लगता रहेगा। नये साल में नयी कोच फैक्ट्रि का निर्माण कार्य शुरू हो जाएगा।
एमएलआर वर्कशॉप में दिव्यांग फ्रेण्डलि कोच बनने शुरू
एमएलआर (मिड लाइफ रिहैबिलिटेशन) वर्कशॉप की बात करें, तो आयु बढ़ाने के लिए आने वाले कोच को एलएचबी (लिंक हॉफमैन बुश) कोच बनाने का काम चलता रहा। साल के अन्त में एक बदलाव दिव्यांग फ्रेण्डलि कोच के रूप में ़जरूर कुछ नया हुआ। अब दिव्यांगों के लिए बने कोच को इस तरह बनाया जाने लगा है कि कोच में सीधे व्हीलचेयर लाने की व्यवस्था हो। साथ ही इस कोच में चौड़े टॉयलेट फिट किए जा रहे हैं।
मण्डल के सभी कोच बायो टॉयलेट से लैस
अगस्त माह में रेलवे ने एक बड़ी उपलब्धि हासिल करते हुए मण्डल के सभी 511 कोच में बायो टॉयलेट फिट कर लिए। इस प्रकार झाँसी मण्डल ओडीएफ फ्री मण्डल घोषित हो गया। गौरतलब है कि बायो टॉयलेट कोच लगाने की शुरूआत भारतीय रेलवे में झाँसी मण्डल की बुन्देलखण्ड एक्सप्रेस से ही हुई थी।
प्रथम स्वतन्त्रता संग्राम एक्सप्रेस हुई अपग्रेड
ट्रेन के लिहाज से देखें तो बुन्देलखण्ड एक्सप्रेस के बाद मण्डल ने अपनी एक और ट्रेन झाँसी-कोलकाता प्रथम स्वतन्त्रता संग्राम एक्सप्रेस को उत्कृष्ट योजना के तहत अपग्रेड कर लिया। इस ट्रेन में अन्दर व बाहर दोनों जगह की सूरत बदल गई है, साथ ही तमाम यात्री सुविधाओं जैसे कि आरामदायक सीटिंग, बेहतर टॉयलेट आदि में बढ़ोत्तरी की गयी है।
फाइल : हिमांशु वर्मा
21 दिसम्बर 2019
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