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प्रभावकारी शिक्षक भर्ती और करियर प्रगति मार्ग
शिक्षकों को प्रभावकारी एवं पारदर्शी प्रक्रियाओं के जरिए भर्ती किया जाएगा। पदोन्नति योग्यता आधारित होगी जिसमें कई स्रोतों से समय-समय पर कार्य-प्रदर्शन का आकलन करने और करियर में आगे बढ़कर शैक्षणिक प्रशासक या शिक्षाविशारद बनने की व्यवस्था होगी। शिक्षकों के लिए राष्ट्रीय प्रोफेशनल मानक (एनपीएसटी) राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद द्वारा वर्ष 2022 तक विकसित किया...
more... जाएगा, जिसके लिए एनसीईआरटी, एससीईआरटी, शिक्षकों और सभी स्तरों एवं क्षेत्रों के विशेषज्ञ संगठनों के साथ परामर्श किया जाएगा।
स्कूल प्रशासन
स्कूलों को परिसरों या क्लस्टरों में व्यवस्थित किया जा सकता है जो प्रशासन (गवर्नेंस) की मूल इकाई होगा और बुनियादी ढांचागत सुविधाओं, शैक्षणिक पुस्तकालयों और एक प्रभावकारी प्रोफेशनल शिक्षक-समुदाय सहित सभी संसाधनों की उपलब्धता सुनिश्चित करेगा।
स्कूली शिक्षा के लिए मानक-निर्धारण एवं प्रत्यायन
एनईपी 2020 नीति निर्माण, विनियमन, प्रचालनों तथा अकादमिक मामलों के लिए एक स्पष्ट, पृथक प्रणाली की परिकल्पना करती है। राज्य/केंद्र शासित प्रदेश स्वतंत्र स्टेट स्कूल स्टैंडर्ड्स अथारिटी (एसएसएसए) का गठन करेगे। सभी मूलभूत नियामकीय सूचना का पारदर्शी सार्वजनिक स्व-प्रकटन, जैसाकि एसएसएसए द्वारा वर्णित है, का उपयोग व्यापक रूप से सार्वजनिक निगरानी एवं जवाबदेही के लिए किया जाएगा। एससीईआरटी सभी हितधारकों के परामर्श के जरिये एक स्कूल गुणवत्ता आकलन एवं प्रत्यायन संरचना (एसक्यूएएएफ) का विकास करेगा।
उच्चतर शिक्षा
2035 तक जीईआर को बढ़ाकर 50 प्रतिशत करना
एनईपी 2020 का लक्ष्य व्यवसायिक शिक्षा सहित उच्चतर शिक्षा में सकल नामांकन अनुपात को 26.3 प्रतिशत (2018) से बढ़ाकर 2035 तक 50 प्रतिशत करना है। उच्चतर शिक्षा संस्थानों में 3.5 करोड़ नई सीटें जोड़ी जाएंगी।
समग्र बहुविषयक शिक्षा
नीति में लचीले पाठ्यक्रम, विषयों के रचनात्मक संयोजन, व्यावसायिक शिक्षा एवं उपयुक्त प्रमाणन के साथ मल्टीपल एंट्री एवं एक्जिट बिन्दुओं के साथ व्यापक, बहुविषयक, समग्र अवर स्नातक शिक्षा की परिकल्पना की गई है। यूजी शिक्षा इस अवधि के भीतर विविध एक्जिट विकल्पों तथा उपयुक्त प्रमाणन के साथ 3 या 4 वर्ष की हो सकती है। उदाहरण के लिए, 1 वर्ष के बाद सर्टिफिकेट, 2 वर्षों के बाद एडवांस डिप्लोमा, 3 वर्षों के बाद स्नातक की डिग्री तथा 4 वर्षों के बाद शोध के साथ स्नातक।
विभिन्न एचईआई से अर्जित डिजिटल रूप से अकादमिक क्रेडिटों के लिए एक एकेडमिक बैंक आफ क्रेडिट की स्थापना की जानी है जिससे कि इन्हें अर्जित अंतिम डिग्री की दिशा में अंतरित एवं गणना की जा सके।
देश में वैश्विक मानकों के सर्वश्रेष्ठ बहुविषयक शिक्षा के माडलों के रूप में आईआईटी, आईआईएम के समकक्ष बहुविषयक शिक्षा एवं अनुसंधान विश्वविद्यालय (एमईआरयू)स्थापित किए जाएंगे
पूरी उच्च शिक्षा में एक मजबूत अनुसंधान संस्कृति तथा अनुसंधान क्षमता को बढ़ावा देने के लिए एक शीर्ष निकाय के रूप में राष्ट्रीय अनुसंधान फाउंडेशन का सृजन किया जाएगा।
विनियमन
चिकित्सा एवं कानूनी शिक्षा को छोड़कर समस्त उच्च शिक्षा के लिए एक एकल अति महत्वपूर्ण व्यापक निकाय के रूप में भारत उच्च शिक्षा आयोग (एचईसीआई) का गठन किया जाएगा।
एचईसीआई के चार स्वतंत्र वर्टिकल होंगे- विनियमन के लिए राष्ट्रीय उच्चतर शिक्षा नियामकीय परिषद (एनएचईआरसी), मानक निर्धारण के लिए सामान्य शिक्षा परिषद (जीईसी), वित पोषण के लिए उच्चतर शिक्षा अनुदान परिषद (एचईजीसी) और प्रत्यायन के लिए राष्ट्रीय प्रत्यायन परिषद (एनएसी)। एचईसीआई प्रौद्योगिकी के जरिये चेहरारहित अंतःक्षेपों के माध्यम से कार्य करेगा और इसमें नियमों तथा मानकों का अनुपालन न करने वाले एचईआई को दंडित करने की शक्ति होगी। सार्वजनिक एवं निजी उच्चतर शिक्षा संस्थान विनियमन, प्रत्यायन एवं अकादमिक मानकों के उसी समूह द्वारा शासित होंगे।
विवेकपूर्ण संस्थागत संरचना
उच्चतर शिक्षा संस्थानों को उच्च गुणवत्तापूर्ण शिक्षण, अनुसंधान एवं सामुदायिक भागीदारी उपलब्ध कराने के जरिये बड़े, साधन संपन्न, गतिशील बहु विषयक संस्थानों में रूपांतरित कर दिया जाएगा। विश्वविद्यालय की परिभाषा में संस्थानों की एक विस्तृत श्रेणी होगी जिसमें अनुसंधान केंद्रित विश्वविद्यालयों से शिक्षण केंद्रित विश्वविद्यालय तथा स्वायत्तशासी डिग्री प्रदान करने वाले महाविद्यालय शामिल होंगे।
महाविद्यालयों की संबद्धता 15 वर्षों में चरणबद्ध तरीके से समाप्त हो जाएगी तथा महाविद्यालयों को क्रमिक स्वायत्ता प्रदान करने के लिए एक राज्य वार तंत्र की स्थापना की जाएगी। ऐसी परिकल्पना की जाती है कि कुछ समय के बाद प्रत्येक महाविद्यालय या तो एक स्वायत्तशासी डिग्री प्रदान करने वाले महाविद्यालय में विकसित हो जाएंगे या किसी विश्वविद्यालय के संघटक महाविद्यालय बन जाएंगे।
प्रेरित, ऊर्जाशील और सक्षम संकाय
एनईपी सुस्पष्ट रूप से परिभाषित, स्वतंत्र, पारदर्शी नियुक्ति, पाठ्यक्रम/अध्यापन कला डिजाइन करने की स्वतंत्रता, उत्कृष्टता को प्रोत्साहन देने, संस्थागत नेतृत्व के जरिये प्रेरक, ऊर्जाशील एवं संकाय के क्षमता निर्माण की अनुशंसा करता है। इन मूलभूत नियमों का पालन न करने वाले संकायों को जबावदेह ठहराया जाएगा।
अध्यापक शिक्षण
एनसीईआरटी के परामर्श से, एनसीटीई के द्वारा अध्यापक शिक्षण के लिए एक नया और व्यापक राष्ट्रीय पाठ्यक्रम ढांचा, एनसीएफटीई 2021 तैयार किया जाएगा। वर्ष 2030 तक, शिक्षण कार्य करने के लिए कम से कम योग्यता 4 वर्षीय इंटीग्रेटेड बीएड डिग्री हो जाएगी। गुणवत्ताविहीन स्वचालित अध्यापक शिक्षण संस्थान (टीईओ) के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
परामर्श मिशन
एक राष्ट्रीय सलाह मिशन की स्थापना की जाएगी, जिसमें उत्कृष्टता वाले वरिष्ठ/सेवानिवृत्त संकाय का एक बड़ा पूल होगा- जिसमें भारतीय भाषाओं में पढ़ाने की क्षमता वाले लोग शामिल होंगें- जो कि विश्वविद्यालय/कॉलेज के शिक्षकों को लघु और दीर्घकालिक परामर्श/व्यावसायिक सहायता प्रदान करने के लिए तैयार करेंगे।
छात्रों के लिए वित्तीय सहायता
एससी, एसटी, ओबीसी और अन्य विशिष्ट श्रेणियों से जुड़े हुए छात्रों की योग्यता को प्रोत्साहित करने का प्रयास किया जाएगा। छात्रवृत्ति प्राप्त करने वाले छात्रों की प्रगति को समर्थन प्रदान करना, उसे बढ़ावा देना और उनकी प्रगति को ट्रैक करने के लिए राष्ट्रीय छात्रवृत्ति पोर्टल का विस्तार किया जाएगा। निजी उच्च शिक्षण संस्थानों को अपने यहां छात्रों को बड़ी संख्या में मुफ्त शिक्षा और छात्रवृत्तियों की पेशकश करने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा।
खुली और दूरस्थ शिक्षा
जीईआर को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के लिए इसका विस्तार किया जाएगा। ऑनलाइन पाठ्यक्रमों और डिजिटल संग्रहों, अनुसंधान के लिए वित्तपोषण, बेहतर छात्र सेवाएं, एमओओसी द्वारा क्रेडिट आधारित मान्यता आदि जैसे उपायों को यह सुनिश्चित करने के लिए अपनाया जाएगा कि यह उच्चतम गुणवत्ता वाले इन-क्लास कार्यक्रमों के समतुल्य हों।
ऑनलाइन शिक्षा और डिजिटल शिक्षा:
हाल ही में महामारी और वैश्विक महामारी में वृद्धि होने के परिणामस्वरूप ऑनलाइन शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए सिफारिशों के एक व्यापक सेट को कवर किया गया है, जिससे जब कभी और जहां भी पारंपरिक और व्यक्तिगत शिक्षा प्राप्त करने का साधन उपलब्ध होना संभव नहीं हैं, गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के वैकल्पिक साधनों की तैयारियों को सुनिश्चित करने के लिए, स्कूल और उच्च शिक्षा दोनों को ई-शिक्षा की जरूरतों को पूरा करने के लिए एमएचआरडी में डिजिटल अवसंरचना, डिजिटल कंटेंट और क्षमता निर्माण के उद्देश्य से एक समर्पित इकाई बनाई जाएगी।
शिक्षा में प्रौद्योगिकी
सीखने, मूल्यांकन करने, योजना बनाने, प्रशासन को बढ़ावा देने के लिए, प्रौद्योगिकी का उपयोग करने पर विचारों का मुक्त आदान-प्रदान करने हेतु एक मंच प्रदान करने के लिए एक स्वायत्त निकाय, राष्ट्रीय शैक्षिक प्रौद्योगिकी मंच ( एनईटीएफ) का निर्माण किया जाएगा। शिक्षा के सभी स्तरों में, प्रौद्योगिकी का सही रूप से एकीकरण करके, उसका उपयोग कक्षा प्रक्रियाओं में सुधार लाने, पेशेवर शिक्षकों के विकास को समर्थन प्रदान करने, वंचित समूहों के लिए शैक्षिक पहुंच बढ़ाने और शैक्षिक योजना, प्रशासन और प्रबंधन को कारगर बनाने के लिए किया जाएगा।
भारतीय भाषाओं को बढ़ावा
सभी भारतीय भाषाओं के लिए संरक्षण, विकास और जीवंतता सुनिश्चित करने के लिए, एनईपी द्वारा पाली, फारसी और प्राकृत भाषाओं के लिए एक इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ ट्रांसलेशन एंड इंटरप्रिटेशन (आईआईटीआई), राष्ट्रीय संस्थान (या संस्थान) की स्थापना करने, उच्च शिक्षण संस्थानों में संस्कृत और सभी भाषा विभागों को मजबूत करने और ज्यादा से ज्यादा उच्च शिक्षण संस्थानों के कार्यक्रमों में, शिक्षा के माध्यम के रूप में मातृभाषा/ स्थानीय भाषा का उपयोग करने की सिफारिश की गई है।
शिक्षा के अंतर्राष्ट्रीयकरण को संस्थागत रूप से सहयोग और छात्र और संकाय की गतिशीलता दोनों के माध्यम से सुगम बनाया जाएगा और हमारे देश में परिसरों को खोलने के लिए शीर्ष विश्व रैंकिंग रखने वाले विश्वविद्यालयों के प्रवेश करने की अनुमति प्रदान की जाएगी।