जयपुर जंक्शन पर वीआईपी बोगियां खड़ी करने की सुविधा और अारअारअाई रूम नहीं नतीजा : डेढ़ महीने पहले तैयार सीकर-जयपुर ट्रैक पर अब तक नहीं चली ट्रेन
सीकर से जयपुर के बीच ब्रॉडगेज प्रोजेक्ट का काम पूरा हो चुका है। खास बात यह है कि ये प्रदेश का पहला रेलवे प्राेजेक्ट है जो तय समय से पहले पूरा हो गया। जयपुर से सीकर ट्रैक का आखिरी फेज टाइम लाइन से 35 दिन पहले पूरा हुआ। काम पूरा करने की टाइम लाइन 30 मई 2019 तय की गई थी। रेलवे ने अप्रैल में ही काम पूरा कर लिया। इसके बाद 24-25 अप्रैल को ट्रैक का सीआरएस भी हो गया।
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more... के निरीक्षण में ट्रैक पर ट्रेन चलाने की मंजूरी भी मिल गई। लेकिन मंजूरी मिलने के डेढ़ महीने बाद भी ट्रैक पर ट्रेन नहीं चल पाई है। जबकि सीकर से जयपुर के बीच ट्रेन संचालन के लिए ट्रैक तैयार है। दरअसल, ट्रेन संचालन नहीं हो पाने की बड़ी वजह है कि जयपुर जंक्शन पर वीअाईपी साइडिंग अाैर आरआरआई रूम का काम बाकी है। फिलहाल सीकर से रींगस तक गाड़ियों का संचालन हो रहा है। ट्रेन का संचालन नहीं होने से शेखावाटी के 17 हजार लाेगाें काे परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। इन यात्रियों पर हर दिन करीब 11.90 लाख रुपए का आर्थिक भार पड़ रहा है।
सीकर से जयपुर के बीच बस का किराया 120 रुपए और एक्सप्रेस ट्रेन का किराया 50 रुपए है। ऐसे में हर यात्री को 70 रुपए ज्यादा चुकाने पड़ रहे हैं। इस आधार पर 17 हजार यात्री हर दिन 11.90 लाख रुपए ज्यादा चुका रहे हैं। मामले में सीपीआरओ अभय शर्मा का कहना है कि यार्ड रिमॉडलिंग का काम होना है। रिले रूम से ही सब कंट्रोल होता है। वीआईपी साइडिंग भी बदली जानी है। इसका प्रस्ताव जोन ऑफिस में भेजा हुआ है। यह काम शुरू होने के बाद करीब एक महीने का वक्त लगेगा। क्योकि पूरा ट्रैफिक प्रभावित होगा।
भास्कर संवाददाता | सीकर
सीकर से जयपुर के बीच ब्रॉडगेज प्रोजेक्ट का काम पूरा हो चुका है। खास बात यह है कि ये प्रदेश का पहला रेलवे प्राेजेक्ट है जो तय समय से पहले पूरा हो गया। जयपुर से सीकर ट्रैक का आखिरी फेज टाइम लाइन से 35 दिन पहले पूरा हुआ। काम पूरा करने की टाइम लाइन 30 मई 2019 तय की गई थी। रेलवे ने अप्रैल में ही काम पूरा कर लिया। इसके बाद 24-25 अप्रैल को ट्रैक का सीआरएस भी हो गया।
सीआरएस के निरीक्षण में ट्रैक पर ट्रेन चलाने की मंजूरी भी मिल गई। लेकिन मंजूरी मिलने के डेढ़ महीने बाद भी ट्रैक पर ट्रेन नहीं चल पाई है। जबकि सीकर से जयपुर के बीच ट्रेन संचालन के लिए ट्रैक तैयार है। दरअसल, ट्रेन संचालन नहीं हो पाने की बड़ी वजह है कि जयपुर जंक्शन पर वीअाईपी साइडिंग अाैर आरआरआई रूम का काम बाकी है। फिलहाल सीकर से रींगस तक गाड़ियों का संचालन हो रहा है। ट्रेन का संचालन नहीं होने से शेखावाटी के 17 हजार लाेगाें काे परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। इन यात्रियों पर हर दिन करीब 11.90 लाख रुपए का आर्थिक भार पड़ रहा है।
सीकर से जयपुर के बीच बस का किराया 120 रुपए और एक्सप्रेस ट्रेन का किराया 50 रुपए है। ऐसे में हर यात्री को 70 रुपए ज्यादा चुकाने पड़ रहे हैं। इस आधार पर 17 हजार यात्री हर दिन 11.90 लाख रुपए ज्यादा चुका रहे हैं। मामले में सीपीआरओ अभय शर्मा का कहना है कि यार्ड रिमॉडलिंग का काम होना है। रिले रूम से ही सब कंट्रोल होता है। वीआईपी साइडिंग भी बदली जानी है। इसका प्रस्ताव जोन ऑफिस में भेजा हुआ है। यह काम शुरू होने के बाद करीब एक महीने का वक्त लगेगा। क्योकि पूरा ट्रैफिक प्रभावित होगा।
जयपुर मंडल ने ढहर का बालाजी तक ट्रेन संचालन का प्रस्ताव दिया, लेकिन वहां सुविधाएं नहीं, इसलिए बोर्ड ने मंजूरी नहीं दी
700 कराेड़ का प्राेजेक्ट है सीकर-जयपुर ब्राॅडगेज ट्रैक के लिए।
2007 में रेलवे की ओर से शेखावाटी में ब्रॉडगेज प्रोजेक्ट की घोषणा की गई थी।
2011 में इसके लिए बजट जारी हुआ। बजट कम होने से काम गति नहीं पकड़ पाया।
2016 में रेलवे की ओर से सीकर-जयपुर फेज का काम शुरू किया गया था।
30 मई 2019 तक इस फेज को पूरा करने का टारगेट दिया गया।
7.8 किमी लंबा पुल (छोटा गुढ़ा से रींगस तक) बनाने में सबसे ज्यादा वक्त लगा, लेकिन े इसे समय से पहले पूरा कर दिया। तीसरे फेज को दो चरणों में पूरा किया गया।
35 दिन पहले(तय डेडलाइन से) प्रोजेक्ट का काम पूरा हो गया और सीआरएस के निरीक्षण में ट्रेन संचालन की अनुमति भी मिल गई। लेकिन इसके बावजूद सीकर-जयपुर ट्रेन की सुविधा नहीं मिली।
जयपुर मंडल ने रेलवे बाेर्ड काे ब्राॅडगेज पर ढहर का बालाजी तक ट्रेन संचालन की मंजूरी के लिए प्रस्ताव भेजा। लेकिन रेलवे बाेर्ड ने अभी तक इसकी मंजूरी नहीं दी है। क्याेंकि बाेर्ड का मानना है कि ढहर का बालाजी स्टेशन पर सुविधाएं नहीं है। ड्राइवराें, टीटी अाैर दूसरे स्टाफ के ठहरने की सुविधा नहीं है। ट्रेन के इंजन में डीजल भरने अाैर मेंटीनेंस की सुविधा भी नहीं है। रेलवे बोर्ड का मानना है कि ढहर का बालाजी स्टेशन पर बाेगियाें के रखरखाव की सुविधा न होने के कारण यात्रियाें की दिक्कत बढ़ सकती है। इसलिए फिलहाल तैयार ट्रैक पर गाड़ियाें के संचालन की मंजूरी नहीं दी गई है।
आरआरआई रूम मेंे सिग्नल देने का सेटअप तैयार होता है
जयपुर जंक्शन पर वीअाईपी साइडिंग का काम पूरा नहीं हुअा है। दरअसल, वीअाईपी साइटिंग में विशिष्ट व्यक्तियाें के लिए लगने वाली बाॅगियाें काे खड़ा किया जाता है। क्याेंकि मंत्री अाैर अफसराें के सफर करने पर उनके लिए ट्रेन में अलग बोगियों लगाता है। इसके अलावा जंक्शन पर अारअारअाई (रूट रीले इंटरलाॅकिंग) रूम में भी तैयार नहीं हुअा है। इसमें कम्प्यूटराइज्ड सिस्टम लगना हाेता है। जाे गाड़ियों के अागमन के दाैरान सिग्नल देने के काम अाता है। जंक्शन पर दाेनाें सुविधा न जुटने पर ट्रेन के संचालन में दिक्कत अा रही है।
इसलिए जरूरी
110 किमी की रफ्तार से चल सकेगी ट्रेन : सीकर-जयपुर के बीच 110 किमी की रफ्तार से ट्रेन चलाई जा सकेगी। सीआरएस से पूर्व स्पीड ट्रायल में ट्रैक पर 127 किमी रफ्तार से इंजन चलाया गया था। सीआरएस के दौरान में 110 की रफ्तार से जट्रायल ट्रेन चलाई गई थी।
सीधी कनेक्टिविटी हो जाएगी : लुहारू, दिल्ली, श्रीगंगानगर अाैर चूरू वाली गाड़ियां रींगस तक पहुंच रही है। इस प्राेजेक्ट के पूरा होने के बाद जयपुर-चूरू-गंगानगर-सादुलपुर से हिसार तक सीधी कनेक्टिविटी हो जाएगी।