एक बार अकबर ने ट्रेन लाइन डालने tender बुलाया Korea se Engineers ko contract dia magar corruption ke karan rail line ka rukh Gaya aur Akbar ka exchequer pura ,kangal hogaya. व्यापारी अकबर के समय मे बिजनस करता था , और व्यापारी से कुछ सहायता मांगी, व्यापारी ने अपना सब धन अकबर को दे दिया तब अकबर ने उससे पुछा कि तुमने इतना धन कैसे कमाया सच सच बताओ नहि तो फांसी दे दुंगा। मारवाडी बोला जहांपनाह मेनै यह सारा धन कर चौरी और मिलावट से कमाया है। यह सुनकर अकबर ने बीरबल से सलाह करके व्यापारी को घौडो के अस्तबल मे लीद साफ करने की सजा सुनाई। व्यापारी वहां काम करने लगा।
दो साल बाद फिर...
more... अकबर fir Overhaul electrification me invest kar kangal hogaya हो गया तो बीरबल से पुछा अब धन की व्यवस्था कौन करेगा। बीरबल ने कहा बादशाह उस व्यापारी से बात करने से समस्या का समाधान हो सकता है। तब अकबर ने फिर व्यापारी को बुलाकर अपनी परेशानी बताई तो व्यापारी ने फिर बहुत सारा धन अकबर को दे दिया। अकबर ने पुछा तुम तो अस्तबल मे काम करते हो फिर तुम्हारे पास इतना धन कहां से आया सच सच बताओ नहि तो सजा मिलेगी। व्यापारी ने कहा यह धन मैने आप के आदमी जो घौडों की देखभाल करते है उन से यह कहकर रिश्वत लिया है कि घौडे आजकल लीद कम कर रहै है इसकी शिकायत बादशाह को करुगां क्योंकि तुम घौडो को पुरी खुराक नहीं देते हौ ओर पैसा खजाने से पुरा उठाते हो। अकबर फिर नाराज हुआ और व्यापारी से कहा कि तुम कल से अस्तबल में काम नही करोगे। कल से तुम समुन्दर् के किनारे उसकी लहरे गीनो और मुझे बताऔ।
दो साल बाद
अकबर फिर locomotives ki kami ke wajah se कंगाल
चारो तरफ धन का अभाव किसी के पास धन नहीं। बीरबल और अकबर का माथा काम करना बंद। अचानक बीरबल को व्यापारी की याद आई। बादशाह को कहा आखरी उमी्द व्यापारी दिखता है आप की ईजाजत हो तो बात करू। बादशाह का गरूर काफुर बोला किस मुंह से बात करें दो बार सजा दे चुकें हैं। दोस्तो व्यापारी नै फिर बादशाह को ईतना धन दिया कि खजाना पूरा भर दिया। बादशाह ने डरते हुऐ धन कमाने का तरिका पूछा तो व्यापारी ने बादशाह को धन्यवाद दिया और कहा इस बार धन विदेश से आया है क्योकि मैने उन सब को जो विदेश से आतें हैं आप का फरमान दिखाया कि जो कोइ मेरे लहरे गिनने के काम में अपने नाव से बाधा करेगा बादशाह उसे सजा देंगें । सब डर से धन देकर गये और जमा हो गया।
*कहानी का सार*
*सरकार मारवाडी से ही चलती है*
*जाहे अकबर की हो या मोदी की*
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